कल्पनात्मक खेल या जिसे आप नाटक कह सकते हैं, आमतौर पर अपने शिशु के साथ समय बिताने का मज़ेदार तरीका मालूम पड़ता है।लेकिन वास्तव में इसके बहुत सारे फायदे हैं।इससे इंद्रियों को उत्तेजना मिलती है, खोजबीन और रचनात्मक सोच के अवसर पैदा होते हैं, और आपके बच्चे के बौद्धिक, भावात्मक विकास और उसकी सामाजिक सफलता के लिए महत्वपूर्ण कौशल विकसित करने में मदद मिलती है।
नाटक जैसे खेल के पहले संकेत लगभग 12 से 18 महीने के बीच उभरते हैं।आप अपने 18 महीने के शिशु को अपनी गुड़िया को चम्मच से खिलाने की कोशिश करते हुए या ब्लॉक उठा कर इसे फोन के रूप में उसके कान पर लगाते हुए देख सकते हैं।प्रकृति के हिसाब से नाटक जैसे खेल के शुरुआती रूप काफी हद तक अकेले ही खेले जाते हैं।हालांकि आपके नन्हें मुन्ने को अपने दोस्तों के साथ मज़ा आता है, उनके खेल पर पैनी नज़र रखने से आपको पता चलेगा कि प्रत्येक शिशु अकेला होते हुए एक अलग कल्पना में खोया हुआ है।
तीसरे या फिर चौथे साल के बाद ही आपके बच्चे का नाटक सा खेल वास्तव में पारस्परिक बनता है, हालांकि इसके बाद भी वे छोटे खिलौनों (जैसे गुड़िया घर, महल और छोटे ट्रक) के साथ अकेले नाटक सी गतिविधियों करना जारी रखते हैं।
तीन से छह साल की अवधि को आमतौर पर नाटक से खेलों या कल्पनाशील नाटक खेलों का सुनहरी काल माना जाता है।इसका कारण यह है कि आपके बच्चे के जीवन में अन्य कोई ऐसा समय नहीं आएगा जब वे कल्पना की अपनी छोटी दुनिया में इतने डूबे होंगे।
आप उन्हें प्रॉप और खिलौने देकर उनकी इस काल्पनिक दुनिया को और समृद्ध बना सकते हैं।शुरुआती चरणों में बच्चों को इस काम में लगाने और बनाये रखने हेतु यथार्थवादी प्रॉप जैसे छोटी मूर्तियां, रसोई के बर्तन, मेडिकल प्ले किट, और बागवानी उपकरण की आवश्यकता होती है।ज्यों ज्यों वे बड़े होते हैं और ऐसे नाटक खेलो के साथ सहज होते जाते हैं, अवास्तविक प्रॉप देना भी समान रूप से महत्वपूर्ण बन जाता है (उदाहरण के लिए, गत्ते के डिब्बे, छड़ें, डिब्बे)।रंगीन ब्लॉक जैसी मुक्त प्रयोग वाली वस्तुओं को शामिल करना भी अच्छा है क्योंकि इनकी असीमित संभावनाओं से बच्चों की कल्पना शक्ति बढ़ती है।
बड़े प्री-स्कूली बच्चों को रोल-प्ले करना और सजना संवरना अच्छा लगता है।
कई रोल प्ले में वयस्कों की सरल नकल करना होती है; इससे आपके बच्चे को वयस्कों की दुनिया समझने में मदद मिलती है।यदि आपको भी भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है (जो कभी-कभी होगा), आप भी इसमें शामिल हों अपने बच्चे से दिशानिर्देश लें क्योंकि यह उनकी दुनिया है और उन्हें हुक्म देने में मज़ा आएगा।लेकिन ध्यान दें कि आप स्वयं को ज़रूरत से अधिक खेल में शामिल न करें।बस अपने बच्चे की बात मानें और खेलते खेलते सुधार करते रहें।उनकी कहानी की प्रमुख विशेषताओं पर उन्हें नियंत्रण रखने दें और आपको केवल आसान से प्रश्न पूछने और उत्साह दिखाने तक ही सीमित रहना है।जब वयस्क बच्चों के खेल की अगुआई करने में अत्यधिक घुसपैठ करते हैं तो खेल के कई आंतरिक लाभों से वंचित हो जाते हैं।
जहां तक इसके विकासात्मक पहलू की बात है, नाटक सा खेलअपने बच्चे के आत्मविश्वास , आत्म-जागरूकता, और आत्म-नियंत्रण में वृद्धि करने में सहायक होगा।इससे बच्चों को रचनात्मक सोच के लिए प्रोत्साहन मिलता है और उनकी स्मृति, भाषा और परिप्रेक्ष्य कौशल में सुधार होता है।
कल्पनाशील खेल सर्वाधिक सामाजिक प्रकार का खेल होता है और इसका बच्चों की उनके साथियों के साथ सफलता हेतु महत्वपूर्ण कौशल के विकास पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।अपने साथियों के साथ रचनात्मक खेल खेलते हुए आपका बच्चा सहयोग और समझौता करना, सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना और सामाजिक संबंधों को समझने की सीख लेता है।इससे उन्हें अपनी राय सुनने में भी सक्षम बनते हैं।