बिस्तर गीला करना आपके बच्चे के विकास और वृद्धि का एक प्राकृतिक हिस्सा है। इसके बारे में यहाँ और जानें।
बिस्तर गीला करना क्या है?
एन्युरेसिस जिसे आमतौर पर बिस्तर गीला करना के नाम से जाना जाता है,उसे मूत्र असंतुलन के रूप में समझाया जा सकता है,
कोवसार मेडिकल इंस्टीट्यूट के इस आलेख के अनुसार,नींद के दौरान एक अनजाने और अनैच्छिक रूप सेपेशाब का निकल जाना,
शौचालय प्रशिक्षण पूरा कर चुके बच्चों को दिन में या रात में होता है।
प्राइमरी नोक्टर्नल एन्युरेसिस (पीएनई) और सेकेंडरी नोक्टर्नल एन्युरेसिस (एसएनई) बच्चोंमें बेडविटिंग होने के दो तरीके हैं।
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पीएनई वह स्थिति होती है जिसमें 5 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चों द्वारा बिस्तर गीला करने की घटना
होतीहै और जिसने कभी भी लगातार रात का सूखापन हासिल नहीं किया है -
एसएनई 6 महीने की अवधि तक रात में बिस्तर सूखा रहने के बाद किसी भी आयु वर्ग के बच्चों में
बिस्तर गीला करने की स्थिति को बताता है।
पीएनई को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है यानी दिन में गीला करने के लक्षणों सहित और इससे रहित। दिन में गीला करने के लक्षणों से रहित बच्चे दिन भर के दौरान सूखा रखते हैं
और सिर्फ रात में बिस्तर गीला कर देते हैं। जबकि, दिन में गीला करने के लक्षणों वाले बच्चे तात्कालिकता या बारंबारता या दिन के दौरान भी बिस्तर गीला करने के संकेत प्रदर्शित करते हैं।
क्या बिस्तर गीला करना सिर्फ एक चरण मात्र है?
तीन वर्ष की उम्र तक
अधिकांश बच्चे दिन के दौरान बिस्तर गीला करना बंद कर देते हैं जबकि रात में बिस्तर गीला करने वाले अधिकांश बच्चे 5 वर्ष की उम्र बिस्तर गीला करना बंद कर देते हैं। नेशनल एसोसिएशन फॉर काँटीनेंस केअनुसार, पीएनई किसी भी उपचार के बिना समय के साथ अपने आप ठीक हो सकता है
और हर वर्ष 15% बच्चे इस स्थिति को दूर करने में सक्षम होते हैं।
महत्वपूर्ण सांख्यिकीय विवरण जो बच्चों में एन्युरेसिस पर प्रकाश डालते हैं
नेशनल स्लीप फाउंडेशन एंड चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल ऑफ़ बोस्टन के अनुसार बच्चों में बिस्तर गीला करने का प्रतिशत निम्नानुसार है
- 13% से 20% 5 साल के बच्चों में
- 10% 7 साल के बच्चे अपने बिस्तरों को गीला करना जारी रखते हैं
- 5% 10 साल के बच्चे अभी भी पूरी रात का सूखा पन हासिल नहीं कर पाए हैं
इस प्रकार बिस्तर गीला करना बढ़ने के दौरान का एक चरण हैऔर माताएंआपको यह समझने की जरूरत है कि उम्र के साथआपका
बच्चा इस समस्या से बाहर निकल जाएगा।
हालांकि, कोई भी नहीं कह सकता कि बच्चा बिस्तर को गीलाकरना पूरी तरह से बंद करने में कितना समय लेगा
क्योंकि वह इसे नियंत्रित नहीं कर सकता या सकती है।
रात का सूखापन प्राप्त करने के पीछे क्या कारण होता है?
बिस्तर गीला करने के बारे में नेशनल एसोसिएशन फॉर काँटीनेंस का एक लेख बताता है कि बच्चे रात के समय के सूखापन को दो तरीकों से प्राप्त करते हैं।
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मूत्राशय और मस्तिष्क के बीच सन्देश का आदान प्रदान एक तरीका है जहां मूत्राशय एक संकेत भेजता है कि यह भर
रहा है जबकि मस्तिष्क मूत्राशय को सन्देश भेज कर कहता है कि आराम से रहो ताकि इसमें और अधिक भरसके। -
दूसरे तरीके में जहां मूत्राशय सुबह तक पेशाब को रोक नहीं सकता है और जब तक बच्चा जागकर खाली नहीं करता है तब तक मस्तिष्क को सन्देश भेजना जारी रखता है।
जबकि, बच्चा अभी भी सीख रहा होता है कि इसे कैसे करना है और इस सिग्नलिंग कौशल में महारत हासिल होने तक बिस्तर को गीला करना जारी रहेगा।
शोध ने साबित कर दिया है कि इस प्रगति में थोड़ा बहुत मूत्राशय नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है
- 18 महीने:बच्चा मूत्राशय भरने या खाली करने की गतिविधि से अवगत नहीं होता है
- 18-24 महीने: बच्चे मूत्राशय के खाली होने का एहसास कर सकते हैं
- 3 वर्ष: बच्चे अधिकतर स्वेच्छा से पेशाब को रोकने में सक्षम होते हैं और आवश्यक शौचालय कौशल विकसित कर चुके होते हैं
- 3 से 5 वर्ष: अधिकांश बच्चे दिन और रात दोनों के दौरान सूखा रह सकते हैं।
बिस्तर गीला करना कब समस्या बन जाता है?
education.com के मुताबिक, बालरोग विशेषज्ञ 6 वर्ष की उम्र तक बिस्तर गीला करना को समस्या के रूप में नहीं मानते हैं।
माता-पिता को 6 या 7 वर्ष से कम आयु के उन बच्चों के साथ अधिक धैर्य रखने की आवश्यकता होती है जो अभी तक भी रात में पेशाब नहीं रोक पाते हैं क्योंकि वे अभी भी पीएनई का सामना कर रहे होते हैं और ज्यादातर मामलों में यह स्वयं ही हल हो जाएगा।
इस स्तर पर निश्चित रूप से पैनिक बटन दबाने की आवश्यकता नहीं है।
जब पीएनई 6 या 7 वर्ष की उम्र तक रहता है तो माता-पिता को बाल-रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। एसएनई के लिए भी यही लागू है।
बच्चों में बिस्तर गीला करने के कारण
सामान्य विकास और वृद्धि से संबंधित कारणों के अलावा बिस्तर गीला करने के अन्य विभिन्न कारण भी हो सकते हैं, इंग्लैंड के राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के अनुसार,इसके लिए एक बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।
चिकित्सकीय और मनोवैज्ञानिक समस्याओं जैसे मूत्राशय की समस्याएं, कब्ज, मधुमेह, स्लीप एप्निया या मनोवैज्ञानिक समस्याओं जैसे डर, असुरक्षा, किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार का सामना करना बिस्तर गीला करने का कारण हो सकता है।
अनुसंधान नेशनल एसोसिएशन फॉर कॉन्टिनेंस के अनुसार यह भी दिखाता है कि आनुवंशिकता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।यदि माता-पिता में से एक बिस्तर गीला करने वाला / वाली रहा हो तो बच्चे को रात में बिस्तर गीला करने की समस्या होने की 44% संभावना होती है,जहाँ माता-पिता दोनों ही अपने बचपन में बिस्तर गीला करते थे वहां यह 77% तक हो सकता है।
माताएं, यहां आपके बच्चे की बिस्तर गीला करने की समस्या से निपटने का तरीका बताया गया है
यदि आपका बच्चा सामान्य उम्र के बाद भी बिस्तर को गीला करना जारी रखता है या उसे एसएनई के मामले में एक बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
लीक को रोकने के लिएऔर आपके बच्चे के शरीर और मूत्राशय पर नियंत्रण का विकास होने तकअपने बच्चे की उम्र के आधार पर शीर्ष गुणवत्ता वाले डायपर या डायपर पैंट का उपयोग करें।यदि बच्चा डायपर पहनने की उम्र से अधिक का हो गया है, तो गद्दा रक्षक का उपयोग करें।
पॉटी प्रशिक्षण के बारे में पढ़ें और जल्दी से अपने बच्चे की बिस्तर पर जाने से पहले वाशरूम में जाने की आदत डालना शुरू करें।
भावनात्मक रूप से अपने बच्चे के साथ मौजूद रहें; उसे समझाएं कि बिस्तर गीला करना एक सामान्य स्थिति है और इसके बारे में शर्मिंदा या दोषी महसूस करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
यदि आवश्यकता हो तो आपके बाल रोग विशेषज्ञ की विशेष सहायता के साथ शुरुआत में ही हस्तक्षेप करने से,आपके बच्चे को बिस्तर गीला करने की समस्या पर काबू पाने में मदद मिलेगा ।