हर नए माता-पिता के लिए 6 महीने के बाद अपने बच्चें को क्या भोजन खिलाया जाए और कैसे खिलाया जाए इसका निर्णय लेना काफ़ी तनावपूर्ण और भ्रमित करनेवाला हो सकता हैं।
शुरुआती बालपन पोषण को लेकर ढ़ेर सारे विवाद है, और शिशुओं केभोजन को लेकर कुछ पहलुओं पर विभिन्न राय हैं। हम आपके और आपके शिशु के उस परिवर्तन को आसान बनाने के लिए यहां हैं।
नीचे कुछ सामान्य संकेत दिए गए है, जिनका उपयोग आप अपने शिशु का भोजन बनाने के लिए कर सकते है, जो केवल सुरक्षित ही नहीं बल्कि बेहद पोषक भी हैं :
1. पहले स्तनपान, बाद में ठोस पदार्थ ।
आपका शिशु ठोस खाद्य पाने से पहले पूर्ण रूप से स्तनपान या फॉर्मूला पर निर्भर होना चाहिए ताकि ठोस खाद्य खाने से पहले वह सारे आवश्यक पोषक तत्व और स्वास्थ्य प्रदान करनेवाले तत्व पा सके। नौ मास के करीब अक्सर यह विपरीत हो जाता है और भोजन पहले आता हैं।
2. द्रव पदार्थ से प्यूरी से लम्प्स और बम्प्स
पदार्थ से प्यूरी से लम्प्स और बम्प्स पूर्ण द्रव के नियमित स्वाद से ठोस खाद्य तक का परिवर्तन काफ़ी मुश्किल हो सकता हैं। "भोजन" गाढ़ा स्वाद और बनावट के साथ रंग में भी भिन्न होता हैं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सारे आहार या तो पकाए हुए हों या पीसे हुए हों (हाथों से, ब्लेंडर या बेबी फूड उपकरणों द्वारा) पतले दही के समान चिकने तरल पेस्ट में (स्तन दूध या फार्मूला का उपयोग भोजन को पतला बनाने के लिए किया जा सकता हैं)। आप अपने शिशु की प्रतिक्रियाओं को समझने के लिए आप हर 3-5 दिन में उसे नए प्रकार का भोजन दे सकते हैं।
3. ऐसे शुरू करें जैसे कि आप जारी रखना चाहते है
हो सकता है आपका शिशु केवल एक चमच्च भोजन ही लें। इसलिए आवश्यक है कि आप गुणवत्ता को बनाए रखे। हमेशा घने पोषक तत्व वाले आहार और बिना मिलावट वाले आहार का चुनाव करे, आपके शिशु की आहार की गुणवत्ता मेंसमझौता नहीं किया जा सकता हैं।यह नन्हें बच्चों के लिए भी सत्य है, जिनकी भूख ज्यादा होती है लेकिन पेट अपेक्षाकृत छोटे होते हैं।जब आपका बच्चा अधिक स्वतंत्र हो जाता है, तो जो भोजन उसे मिलता है वह मायने रखता है क्योकि वास्तव में जो खाया जाएगा उसपर आपका नियंत्रण कम हो सकता हैं।लगातार दृढ़ बने रहें और ध्यान रखे कि जब आपका शिशु भोजन कर रहा हो तब आप अपना धैर्य न खोये, भले ही अनुभव कितना भी निराशाजनक क्यों न हों।इस समय उनके लिए एक अच्छा प्रेरणास्रोत बनना आपके शिशु को भोजन काल में मदद कर सकता हैं।
4. आहार के बीच अंतराल न रखे
अपने शिशु को गुस्साते देखना काफ़ी निराशाजनक हों सकता हैं। भूलना, छोड़ना या फिर आहार में देरी आपको माता-पिता के रूप में मुश्किल में डाल सकता है। दिनभर पोषक तत्वो की नियमित पूर्तिसुनिश्चित करती है कि आपका शिशु सारी आवश्यक शक्ति पा रहा है साथ ही साथ बढ़ते दिमाग और शरीर के लिए भी बेहतर नींव बना रहा हैं।
5. आयरन की अच्छी खुराक
6 मास के करीब आपके शिशु के शरीर मे आयरन की मात्रा कम हो सकती है । स्वस्थ विकास के लिए आयरन की अच्छी आपूर्ति आवश्यक हैं। अधिकांश बेबी सीरियल्स में आयरन होता है इसलिए आप सुनिश्चित करें कि आप उचित मे निवेश करें । आपके शिशु के लिए भोजन जिसमें आयरन की प्रचुर मात्रा हो उन्हें अपने बच्चे के भोजन में शामिल करने के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।
6. मैला लेकिन मजेदार
खाना खाने की प्रक्रिया को अपने शिशु के लिए एक सकारात्मक और सुखद अनुभव बनाएँ । भले ही आप सोंचे फिर भी उन्हें गन्दा होने दे और खाने के साथ खेलने दे, छूकर और बनावट को महसूस करकर उन्हेंपता लगाने दे । गंदगी करने के लिए ज्यादातर माता-पिता अपने शिशु को डाटेंगे पर उन्हें निहारना सीखें ! यह दिनचर्या को उतना रोमांचक बनाने मे मदद करेगा जितना आपका शिशु उसे बनाना चाहे । ऐसे समय के लिए बिब और कुछ बेबी वाइपस सुविधाजनक होते हैं।
7. अपना समय
ले एक बार में एक ही नया आहार दें और 3-5 दिनों के दौरान विभिन्न विकल्पो को आजमाये । इससे यदि आपके शिशु को किसी आहार से रिएक्शन / एलर्जी है तो कारण का पता लगाना आसान होगा । आप यह भी जान पाएंगे कि आपके शिशु को कौन से आहार पसंद है और कौन से उनके प्रिय है ।
8. शुष्क, गर्म,या ठंडा
ज्यादातर शिशु आहार का तापमान सामान्य तापमान के अनुसार पसंद करते है, फिर भी कुछ इसे हल्का गर्म पसंद करते है, उदाहरण के लिए. शरीर का तापमान (स्तन दूध लगभग इसी तापमान का होता है) । अपने शिशु के बर्तन को गर्म पानी के बर्तन में रखे और उसे इच्छित तापमान तक गर्म होने दे । और हां, निश्चित रूप से शिशु के आहार को गर्म करने के लिए मायक्रोवेव के इस्तेमाल से बचें ।
9. पानी के उपभोग का महत्व
शिशुओं की गुर्दे वयस्को की भांति आहार के पाचन पश्चात अवशेष उत्पादों को संचालन में निपुण नही होती हैं । जब आपका शिशु ठोस आहार लेना शुरु करता है, तब यह अधिक आवश्यक हो जाता है कि आप अपने शिशु द्वारा पिये जाने वाले पानी की मात्रा का ध्यान रखें खासकर तब जब स्तनपान के बदले ठोस आहार दिया जाता है । शिशुओं में प्यास लगने की गतिविधी पूरी तरह विकसित नही होती है इसलिये यह आवश्यक है कि आप अपने शिशु को निश्चित अंतराल में पानी पिलाते रहें । सुनिश्चित करे कि शिशुओं के बोतल / चुसनेवाले कप आसानी से दिखने वाली जगह पर रखे हो और उनकी सामग्रीमात्रा को दिन भार जांचते रहे ।
10. फलो का रस
आमतौर पर माता-पिता बच्चों को फलों का रस उनकी विटामिन C की आपूर्ति को पूरा करने के लिए देते है । हालांकि दूध, फलो का रस और पानी एक साल से कम आयु वाले शिशुओं के लिए तीन महत्वपूर्न द्रव पदार्थ् हैं, फिर भी पानी ज्यादा आवश्यक हैं । हालांकि फलो के रस की कुछ मात्रा सुरक्षित है (संतुलन में), ज्यादा मात्रा पेट के विकारों की समस्या का कारण हो सकता है, पतला मल, आपके बच्चे की भूख और गंभीर मामलों में उनके शारीरिकविकास पर प्रभाव पड़ सकता हैं। शिशुओं के आहार-संबंधी सुझाव :
- उन्हें 6 महीने से पहले किसी भी फल का रस नहीं देना चाहिए।
- उन्हें ऐसी बोतल या बर्तन में रस नहीं देना चाहिए जिससे रस आसानी से निकलता हो, क्योकि उससे शिशु दिन भर उसका सेवन कर सकते हैं।
- सोते समय उन्हें रस नही देना चाहिए ।
11. गाय का दूध शुरू करने का सही समय
आमतौर पर, जब तक आपका शिशु एक साल के करीब न हो जाए तब तक उन्हें गाय का दूध नही देना चाहिए, ताकि एलर्जी के खतरे को कम किया जा सके या स्त्नपान, फार्मूला और आहार परकोई असर न पड़े।
12 . दूध के पर्याय
एक साल के बाद दूध के दूसरे विकल्प बढ़िया विकल्प हो सकते हैं। बहुत सारे कैल्शियम से परिपूर्ण होते है, किसी भी कमी को पूरा करने के लिए बहुत सारे कैल्शियम से परिपूर्ण होते है । ऐसे पेय भिन्न प्रकार के द्रवों केसाथ साथ पोषण भी प्रदान करते हैऔर शिशु जिनमें लैक्टोस असहिष्णुता या एलर्जी और संवेदनशीलता होती है उन्हें भी लाभ पंहुचा सकते हैं।
कुछ विकल्पों में शामिल हैं:
- सोया, इनमे से बहुत सारे अब कैल्शियम से परिपूर्ण होते है (उनका चयन करे जो मूल सोयाबीन से बने होते हैं)
- नट, जैसे कि बादाम का दूध (आवश्यक वसा और कैल्शियम की मात्रा अधिक होती हैं)।
- जौ (विशेष रूप से निम्न ग्लाइकेमिया इंडेक्स और तंत्रिका तंत्र के लिए भी अच्छा माना जाता है)।
- चावल (काफी मीठा भी हो सकता है)