जब आपका बच्चा आपका चेहरा देखकर मुस्कुराता है, आपके लुकाछिपी के खेल पर हंसता है और जब उसके रोने पर आप उसे अपनी बाहों में भर लेते हैं तो आपका दिल खुशी और प्यार से सराबोर हो जाता है । आपका शिशु आपके कार्यों और हावभाव पर कैसी प्रतिक्रिया देता है, इन सब का उसके स्मरणशक्ति के विकास से गहरा नाता है । स्मरणशक्ति आपके शिशु के सीखने की प्रक्रिया का आधार स्तम्भ है ।
1."गायब" चीज़ों की स्मरणशक्ति
स्मरणशक्ति के विकास में एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण, देखने लायक पड़ाव वह है जिसे मनोवैज्ञानिक "वस्तु स्थिरता" कहते हैं - यह काल्पनिक नाम दिया गया है उस अवस्था को जब कोई शिशु भली भांति समझता है कि भले ही वह किसी वस्तु को आँखों के सामने न देख पाए, लेकिन यह वस्तु फिर भी मौजूद रहती है.
"वस्तु स्थिरता" विकसित होने से पहले जब कोई वस्तु उसकी आँखों से ओझल होती थी तो आपका शिशु संभवतः ऐसे व्यवहार करता था जैसे कि वे वस्तुएं गायब हो गई हों.उदाहरण के तौर पर जैसे ही आप शिशु के हाथ से उसका खिलौना लेते हैं, सात महीने का शिशु इस खिलौने के बारे में भूल सकता है.यही चीज़ दो महीने बाद आज़मा कर देखें? इस बार शिशु उस खिलौने को ढूंढने के लिए इधर उधर देखेगा."अरे, ये कहां गया?" का विचार ही वस्तु स्थिरता है.
2 लुकाछिपी के खेल में अच्छी स्मरणशक्ति की भूमिका
वस्तु स्थिरता की इस धारणा के बिना लुकाछिपी का खेल संभव नहीं होगा! डैडी का चेहरा उनके हाथों के पीछे से फिर नज़र आने पर शिशु हंसता और चिल्लाता है क्योंकि अब उसे महसूस करना शुरू शुरू हो चुका है कि वे भले ही आँखों से परे हों, पर अभी भी वहीं हैं ।"लुकाछिपी" में महारत हासिल करने वाले शिशुओं ने शायद वस्तु स्थिरता की बात अच्छी तरह से समझ ली होती है!
3.अपेक्षा में स्मरणशक्ति की भूमिका
शिशु के बढ़े हुए स्मरणशक्ति कौशल से भी अपेक्षा की भावना विकसित होती है। उदाहरण के लिए जब आप अपना जैकेट पहन लते हैं, तो आपका शिशु शायद जानता है कि अब “बाय- बाय" कह कर जाने का समय है! आपके रेफ्रिजरेटर खोलने पर आपके शिशु को यह अपेक्षा हो सकती है कि अब उसे खाना खिलाया जा सकता है । लगभग नौ महीने की आयु तक पहुंचते शिशु इन संकेतों को ग्रहण कर "याद" रखना शुरू कर देते हैं, जो बाद में अपेक्षा को जन्म देते हैं ।
4.हास्य भाव में स्मरणशक्ति की भूमिका
क्योंकि आपके शिशु में अपेक्षा की भावना विकसित हो रही है, वह इस पर ध्यान देता / देती है कि घटनाएं अपेक्षानुसार नहीं होने पर, बस ऐसे ही पैदा होता है हास्य भाव! अगर आप कान पर पैर का मौज़ा डालते हैं या पैर में टोपी डालते हैं, तो आपका बच्चा खिलखिला कर हंसेगा । आपका शिशु "सामान्य" चीज़ों की अपेक्षा करता है और जब इन चीज़ों में गड़बड़ झाला होता है तो वह हँसता है - यह बात तब तक संभव नहीं थी जब तक उसमें अपेक्षा विकसित नहीं हुई थी.
अधिक जानकारी के लिए देखें शिशु विकास या शिशु की देखभाल.