कई माता-पिता इस प्रक्रिया पर जबकि ध्यान नहीं देते हैं लेकिन परिणाम को देखकर लगता है कि प्रयास करना जायज है। यहां कुछ युक्तियाँ दिए गए हैं जो आपके और आपके बच्चे के लिए शौचालय का उपयोग करना आसान बनाती हैं।
माताएंयाद रखें कि जब आपका बच्चा पॉटी के लिए शिक्षण ले रहा होता है, तो वह वास्तव में एक नया कौशल सीख रहा होता है! यह महत्वपूर्ण है कि आप उस गति से आगे बढ़ें जो आपके बच्चे के लिए आरामदायक है।
हालांकि यह एक कठिन प्रक्रिया हो सकती है, निराश होने से बचें; इसके बजाय, अपने बच्चे के प्रति धैर्य रखें, इसे सीखने में उसकी सहायता करें।
इंग्लैंड की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं (एनएचके) के अनुसार, बच्चों में मूत्राशय और आंत्र का नियंत्रण उनके शारीरिक रूप से तैयार होने पर होता है; और ज्यादातर बच्चे मूत्राशय (पेशाब) से पहले अपने आंतों (पॉटी) को नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं।
बच्चे एक वर्ष की उम्र के हो जाने पर रात में मलत्याग करना बंद कर देते हैं। सूखे और साफ रहने की उनकी विकसित होती इच्छा भी बच्चे के शौचालय का सफलतापूर्वक उपयोग करने में सहायक होती है।
आपके बच्चे की समझ के अनुसार से शौच करने के सही आदत के बारे में सिखाना
healthychildren.org पर एक लेख बताता है कि बच्चों को शौच शिक्षण की तुलना मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ ड्राइविंग में महारत प्राप्त करने के वयस्कों के प्रशिक्षण से की जा सकती है।
शौच शिक्षणकी प्रक्रिया में बच्चे को उसी तरह से शरीर तथा हाथ और पैरों को मोड़कर बैठने वाले कार्यों को सिखाने की आवश्यकता है।शरीर और उसके कार्यों से बच्चे को परिचित होना जरूरी है, और साथ ही शरीर में उसके परस्पर अनुभव से उचित प्रतिक्रियाएं करना होता है।
अपनी याद रखने की क्षमता और एकाग्रता के बल पर बच्चे को यह कल्पना करना चाहिए कि क्या करना है, शौचालय तक पहुंचने, उसका इस्तेमाल करने की योजना बनाना, और काम पूरा होने तक वहां रुके रहना चाहिए। देखभाल करने वाले द्वारा दी जाने वाली जानकारी और निर्देशों को समझना इस प्रक्रिया का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा है।
क्या आपका बच्चा शौच शिक्षण के लिए तैयार है?
शौच शिक्षण के लिए आपके बच्चे को शारीरिक और भावनात्मक रुप से तैयार होना बहुत महत्वपूर्ण होता है। बच्चा शारीरिक रूप से तब तैयार होता है जब उसने आंत्र और मूत्राशय पर मांसपेशीय नियंत्रण विकसित कर लिया होता है।यद्यपि ज्यादातर बच्चों में यह 18 महीने की उम्र में पूरा हो सकता है, लेकिन भावनात्मक रुप से तैयार होने में अधिक समय लग सकता है।
med.umich.edu के अनुसार 18 से 30 महीने की औसत आयु में बच्चों में यह इच्छा दिखाई देने लगती है जो लड़कियों के लिए 29 महीने में जबकि लड़कों के लिए 31 महीने में पूरी होती है। अधिकांश बच्चे 36 महीने की आयु तक शौच करने की सही आदत सीख जाते हैं।
बारह से अठारह महीने की आयु वाले बच्चे पेट के अंदर दबाव को महसूस कर सकते हैं और जानते हैं कि इसका परिणाम मल त्याग होता है। माता-पिता इस चरण में मल या मूत्र (पेशाब) के बारे में आलोचना कर सकते हैं, जो जागरूकता को और बल देगा और बच्चे को शौचालय का उपयोग करने के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करेगा।
बच्चे इस तैयारी को अपने व्यवहार में दिखाते हैं। मिशिगन विश्वविद्यालय के एक लेख और webmd.com के एक लेख के अनुसार, माँ को यह समझने के लिए कि उसका छोटा-सा बच्चा इस नए कौशल को सीखने के लिए तैयार है या नहीं, उन्हें अपने बच्चों में कुछ निश्चित संकेत देखने की आवश्यकता होती है।
अपने बच्चे के शारीरिक और भावनात्मक तैयारी को समझें
बच्चा अपनी तैयार होने की इच्छा को विभिन्न तरीकों से व्यक्त कर सकता है जैसे एक गंदे डायपर में असहज महसूस करना; और दो साल की उम्र तक उसमें शरीर के विभिन्न अंगों के बारे में जानने की रुचि पूरी तरह विकसित हो चुकी होती है, खासकर उत्सर्जन अंगों के बारे में।
इस समय आप शरीर के अंगों और उनके कार्यों के बारे में बताकर बच्चे की मदद कर सकते हैं। यह बच्चे को मल-मूत्र त्याग करने की प्रक्रिया के बारे में सोचने में मदद करेगा। शौच शिक्षणशुरू करने के लिए अपने बच्चे में इन शारीरिक और भावनात्मक संकेतों पर ध्यान दें।
●नियत समय पर शौच कराना शुरु करें
●यदि आपका बच्चा दो घंटे या उससे अधिक समय तक पेशाब नहीं करता है तो इसका मतलब है कि उसका मूत्राशय पेशाब को एकत्रित करने की क्षमता को बढ़ा रहा है
●चेहरे के भाव, असंतोष जाहिर करना (घुरघुराना) या उंकड़ू बैठना पेशाब या मल त्याग करने के बारे में बताना या संकेत देना है
●आपका बच्चा, मूत्राशय का भरना या पेट में मल त्यागने के दबाब को पहचान सकता है और बता भी सकता है
●आपके छोटे बच्चे ने बुनियादी तौर परहाथ- पैर को हिलाने, इशारे करने का कौशल सीख लिया है जो बच्चे को पॉटी तक जाने, अपने पैंट नीचे खींचने, पॉटी पर बैठने, और इसी तरह आगे भी मदद करेगा।
●आपके बच्चे ने संवाद करने का कौशल सीख लिया है; यानी, वह अपनी जरूरतों को व्यक्त कर सकता है और शौचालय प्रक्रिया को इंगित करने वाले शब्दों को समझने में सक्षम है।
●आपका बच्चा आपको बताता है कि उसका डायपर गंदा है और उसे बदलने के लिए कहता है या जब वह डायपर के बजाय अंडरवियर पहनना चाहता है
●आपका छोटा बच्चा खुश रहता है
●आपका बच्चा सामान्य, मौखिक निर्देशों का पालन कर सकता है
●आपका छोटा- सा प्यारा बच्चा वयस्कों या बड़े बच्चों की नकल करने में रूचि लेता है
यहां बताया गया है कि आप अपने बच्चे की पॉटी जाने की आदत को शुरू करने में कैसे मदद कर सकते हैं
●आप अपने बच्चे को पॉटी का इस्तेमाल करायें, इस तरह से एक शुरूआत की जा सकती है। अपने बच्चे को पूरे कपड़े पहने हुए इस पर बैठने के लिए प्रोत्साहित करें। तब तक जारी रखें जब तक बच्चा पॉटी पर आराम से बैठने न लगे।
●पॉटी में गंदे डायपर डालें ताकि यह दिखाया जा सके कि इसका क्या उपयोग है।
●बच्चे को दिन में कई बार पॉटी तक ले जाएँ और उसे डायपर के बिना इस पर बैठने के लिए प्रोत्साहित करें, विशेष रूप से भोजन के बाद।
●रोजाना एक ही समय पर बच्चे को पॉटी पर बैठायें, धीरे-धीरे बैठने के समय को बढ़ाएँ और ऐसा बार- बार करें।
●आप प्रक्रिया को समझाने और चीजों को मज़ेदार बनाने में मदद करने के लिए एक पॉटी बुक भी ले सकते हैं या एक पॉटी गीत बना सकते हैं।
अपने बच्चे को पॉटी शिक्षणदेते समय, माँ को अपने बच्चे को जानने और समझने की ज़रूरत होती है ...
याद रखें कि सब कुछ बहुत जल्दी सीखने के लिए दबाव न डालें क्योंकि ऐसे में आपका बच्चा और अधिक समय लेगा।आप दोनों के लिए यह सलाह दी जाती है कि इसे शुरू करना अथवा तनावपूर्ण समय न बनायें ।
प्रक्रिया के दौरान अपने बच्चे को नियंत्रण और आत्मनिर्भर महसूस करने में मदद करें और उसे सक्रिय रूप से भाग लेने दें। इसकी चर्चा करते समय व्यावहारिक, आसान और सरल भाषा का प्रयोग करें और नकारात्मक शब्दों, अर्थों और भावनाओं से बचें।
अंतिम लेकिन कम नहीं; हर कदम पर अपने बच्चे की प्रशंसा करना न भूलें!